“सपनों से सजी दुनिया : मेघा बोस जी की इंटीरियर जर्नी

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“उद्यम टॉक्स” द लोक मीडिया का एक विशेष कार्यक्रम है, जहाँ हर सफर और हर कहानी प्रेरणा लेकर आती है।
यह सिर्फ़ बातचीत नहीं, बल्कि अनुभवों और सीखों का ऐसा मंच है जो युवाओं को दिशा देता है।
हर एपिसोड में हम उन लोगों से मिलते हैं जिन्होंने अपने सपनों को मेहनत और जुनून से हकीकत बनाया है।
यह शो बताता है कि उद्यमिता केवल बिज़नेस नहीं, बल्कि सोच और दृष्टिकोण का नाम है।
“उद्यम टॉक्स” उन कहानियों को सामने लाता है जो बदलाव की राह दिखाती हैं।

उद्यम टैक्स के एक एपिसोड में हमारे साथ जुड़ी एक ऐसी महिला उद्यमी, जिनसे हमने जाना कि, महिलाएं केवल घर नहीं बसाती बल्कि घर बनाती और संवारती भी है – “मेघा बोस जी” जो आज की क्रिएटिव इंटीरियर डिजाइनर है। जिन्होंने अपने काम से साबित किया कि डिजाइनिंग सिर्फ खूबसूरती नहीं , सोच और समझ का मेल होता है । उनसे मिलकर बहुत सी जानकारियां मिली, आइए विस्तार से जानते है।

सवाल – सबसे पहले अपने सफ़र के बारे में बताए, क्या कहानी रही है?

जवाब – 2016 में मैने अपनी ट्रेनिंग शुरू की और ट्रेनिंग के दौरान ही मैने प्रैक्टिस की शुरुआत की। बेसिक टूल्स सिखाते ही मुझे काम मिलने लगे, ऑफिशियल ट्रेनिंग मैने 2017 से स्टार्ट करी। अलग-अलग प्रोजेक्ट जैसे कमर्शियल, रेजिडेंशियल और इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट्स मैं करती आ रही हु।

सवाल – कब सोचा कि अब इंटीरियर डिजाइनिंग करनी है?

जवाब – पहले तो मैं आर्ट डायरेक्टर बनना चाहती थी, फिल्म के सेट मुझे काफी अट्रैक्ट करते थे। कैसे बनते है , इतने क्रिएटिव और मजबूत होते है , ये जानने में बहुत इंटरेस्ट आता था। लेकिन उस समय आर्ट डायरेक्शन सीखने के लिए संस्थान और कोर्स की कमी के कारण नहीं सीखा पर मुझे आर्किटेक्चर और इंटीरियर डिजाइनिंग काफी एक जैसा लगा आर्ट डायरेक्शन से, तो मैं इंटीरियर डिजाइनिंग करने का सोचा।

सवाल – “Daughter of design” – आपकी कंपनी, इसके नाम के पीछे क्या कहानी है?

जवाब – इस नाम के पीछे पहली वजह तो मेरी मां है, जो बहुत क्रिएटिव है। उनका पर्सपेक्टिव और नज़रिया चीजों को देखने का अलग होता था। दूसरा कारण यह है कि मेरी कंपनी में 90% लड़कियां है, मै महिला सशक्तिकरण पर काम करना चाहती हूं।
मैं एक ऐसी कंपनी बनाना चाहती हूं जहां कारपेंटर भी लड़की हो, प्लंबर भी लड़की हो और इलेक्ट्रीशियन भी लड़की हो। अभी ऐसा प्रयास करना जारी है।

सवाल – ऐसा कोई मोटिवेशनल मंत्र, आप उन लड़कियों को देना जो इंटीरियर डिजाइनिंग करना चाहती है?

जवाब – सबसे पहले अपना इंटरेस्ट समझना होगा , सिर्फ गृह सज्जा ही इंटीरियर डिजाइनिंग नहीं है। बहुत हिम्मत और मेहनत वाला कार्य है क्योंकि बड़ी लेबर और कॉन्ट्रैक्टर्स को मैनेज करना होता है। डिजाइन को ऑब्जर्व करे – अच्छे और बुरे डिजाइन को समझे, आप एक अच्छी इंटीरियर डिजाइनर बन सकती है

सवाल – क्या फर्क होता है एक डिग्री/कोर्स किए इंटीरियर डिजाइनर और सेल्फ लर्न इंटीरियर डिजाइनर में?

जवाब – इंटीरियर डिजाइनिंग एक क्रिएटिव और अलग प्रोफेशन है और इसकी पढ़ाई करना बेहद जरूरी है क्योंकि इसमें बहुत से टेक्निकल चीजें होती है जिसके बारे में आपको जानना चाहिए ।
हमारे छत्तीसगढ़ में बहुत से इंस्टीट्यूट है जो इंटीरियर डिजाइन का कोर्स करता हैं । कम से कम आपको डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स करना चाहिए, तो सीखना और पढ़ना दोनों जरूरी हैं।

मेघा जी से बातचीत के बीच एक सैगमेंट भी शामिल है –
“Just गोठ” इस सैगमेंट में हम कुछ नादान सवाल पूछते है जो थोड़ी मस्ती और मजे से भरपुर होते है।

सवाल – ऐसा कभी हुआ है, किसी क्लाइंट ने बहुत परेशान किया हो?
जवाब – जी हां! ऐसा 75% होता है।
सवाल – ऐसा हुआ है कभी कि आपकी डिजाइन आपको ही पसंद नहीं आई?
जवाब – बिल्कुल ऐसा होता है , कई बार क्लाइंट ज्यादा क्रिएटिव होते है ।
सवाल – सबसे ज्यादा बोरिंग कौन सा कमरा डिजाइन करना लगता है?
जवाब – क्रिएटिविटी से रिलेटेड कुछ बोरिंग नहीं लगता है लेकिन जब बंच ऑफ क्वांटिटी बनानी होती है तब थोड़ा लगता है।

Just गोठ segment को समाप्त कर, अब फिर से बातचीत में आते है

सवाल – अपने अपनी डिजाइनिंग में बस्तर आर्ट का जादू मिलाया था उसके बारे में बताए ।

जवाब – छत्तीसगढ़ के फॉक आर्ट को हम बहुत अच्छे से इंटीरियर डिजाइनिंग एक्सपेरिमेंट कर सकते है और ये क्लाइंट का पर्सनल चॉइस होता है कि वो फॉक आर्ट को शामिल करना चाहते है ।

सवाल – इंटीरियर डिजाइनिंग और इंटीरियर डेकोरेशन में क्या फर्क है?

जवाब – इंटीरियर डिजाइनिंग में टेक्निकल पार्ट आता है जैसे इलेक्ट्रिक कनेक्शन, प्लंबिंग, टाइलिंग और सीलिंग। बात करे इंटीरियर डेकोरेशन की तो ये प्रॉप्स पे होता है- आर्मामेंट, फोटोफ्रेम, प्लांट्स, कर्टेन। ये अंतर है दोनों में।

सवाल – कौन सी ऐसी तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इंटीरियर डिजाइनिंग करते वक्त?

जवाब – पहला, सही डायमेंशन होना चाहिए। सही माप जगह का बहुत जरूरी है।
दूसरा, कोई अनावश्यक दीवार या बीम तो नहीं है । कोई तिरछा कोना तो नहीं क्योंकि ये सब डिजाइनिंग करते वक्त दिक्कत करते है।
तीसरा, पुरानी इलेक्ट्रिकल लाइन, प्लम्बिंग लाइन और ड्रेनेज लाइन इस की सही जानकारी होना।

सवाल – आपके सफर में आपकी प्रेरणा कौन रहा है?

जवाब – मैं बचपन से अपनी मां को देखती थी, वो घर भी संभालती थी और काम पर भी जाती थी, तो उनसे मुझे प्रेरणा मिली।

सवाल – महिला होते हुए किन चुनौतियों का सामना किया अपने फील्ड में?

जवाब – ट्रैवलिंग एक चैलेंज रहा है साथ ही बहुत से पुरुषों के बीच आपको काम करना होता है तो थोड़ा बोल्ड और आत्मनिर्भर होना पड़ता है। घर और काम दोनों को मैनेज करना थोड़ा चैलेंजिंग है।

सवाल – आप डिजाइनिंग में क्या ध्यान रखती है?

जवाब – मै ट्रेंड को फॉलो करती हूं और रॉफ एंड टॉफ क्वालिटी पर काम करती हू ।

सवाल – इंटीरियर डिजाइनिंग के लिए बेस्ट इंस्टीट्यूट कौन से है?

जवाब – “विमेंस पॉलीटेक्निक” और “विमेंस ITI” ये दो इंस्टीट्यूट जहां लड़कियां इस कोर्स को सीख सकती है।

सवाल – कौन से ऐसे सॉफ्टवेयर है जिसे सीखना जरूरी है?

जवाब – सॉफ्टवेयर जैसे AutoCAD, 3Ds Max, SketchUp, Blender शामिल हैं।

सवाल – आज इंटीरियर डिजाइनिंग में भी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है, AI का भी इस्तेमाल करने लगे है । तो इस विषय में क्या कहेंगी आप?

जवाब – AI के मदद से आप इन सॉफ्वेयर को सीख सकते है कुछ नई चीजों को समझने के लिए AI का उपयोग कर सकते है
AI काम आसान कर सकता है लेकिन उस पर पूरी तरह निर्भर न हो और प्रैक्टिस करते रहे।

मेघा जी ने अपने सफ़र, संघर्ष और कहानी के बारे में बताया,
अपने विचारों को समझाया साथ ही महिलाओं को भी प्रोत्साहित किया। एक ऐसी डिज़ाइनर जिन्होंने न सिर्फ़ दीवारों को सजाया, बल्कि सपनों को आकार भी दिया,”इंटीरियर डिज़ाइन सिर्फ़ सजावट नहीं, एक सोच है — और मेघा जी ने इस सोच को सच्चाई में बदला है। उनकी कहानी ये साबित करती है कि जब हुनर और जुनून मिलते हैं, तो हर स्पेस एक कहानी बन जाता है।
अगर आप मेघा जी के इस इंटरव्यू को विजुअली देखना चाहते है तो जरूर देखे @thelokmedia के यूट्यूब चैनल पर।

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Author: thelokmedia

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