रायपुर | जलवायु परिवर्तन का असर अब सीधे खेतों तक पहुंच गया है। इंडियन नेटवर्क फॉर क्लाइमेट चेंज एसेसमेंट और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया फार्मर्स एसोसिएशन की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर मौसम के बदलते स्वरूप को ध्यान में रखकर योजना नहीं बनाई गई, तो आने वाले 20 वर्षों में फसल उत्पादन में 15% से 25% तक की गिरावट हो सकती है। खासकर धान, गेहूं, दलहन और तिलहन की पैदावार बुरी तरह प्रभावित होगी। असमय बारिश, सूखा, बाढ़ और गर्मी की लहरें फसलों का चक्र बिगाड़ रही हैं, जिससे किसानों को लागत भी नहीं निकल पा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि छत्तीसगढ़ जैसे राज्य, जहां कृषि की गहरी पकड़ है, वहां स्थानीय जलवायु आधारित खेती को अपनाकर इसका समाधान खोजा जा सकता है। जरूरत है कि मौसम के मिजाज को ध्यान में रखते हुए खेती की रणनीति बदली जाए, तभी किसान आर्थिक रूप से सुरक्षित रह पाएंगे।
