60 KM में दो टोल कैसे? कुम्हारी टोल प्लाज़ा को लेकर गडकरी से मिले विकास उपाध्याय, बंद करने का मिला आश्वासन जानिए क्या है भारत में टोल प्लाज़ा से जुड़े नियम

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टोल प्लाज़ा बंद कराने की मांग लेकर केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के पास पहुंचे कांग्रेस नेता एवं पूर्व विधायक विकास उपाध्याय

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के कुम्हारी टोल प्लाजा को लेकर कांग्रेस लंबे समय से इसे बंद करने की मांग कर रही है। इसी क्रम में कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने नागपुर में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की और बताया कि नियम के अनुसार 60 किलोमीटर के दायरे में दो टोल प्लाजा संचालित नहीं होने चाहिए, जबकि छत्तीसगढ़ में यह नियम टूट रहा है। गडकरी ने इस बात को गंभीरता से लेते हुए कुम्हारी टोल प्लाजा बंद करने का आश्वासन दिया है और छत्तीसगढ़ के अन्य टोल प्लाजा की भी समीक्षा कराने की बात कही है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर एनएचएआई कार्यालय का घेराव, सांसदों को पत्र और विरोध प्रदर्शन कर आंदोलन चलाया है, और यदि जल्द फैसला नहीं हुआ तो जंतर मंतर पर धरना देने की चेतावनी भी दी है।

मामला क्यों है अहम?

60 किलोमीटर के भीतर दो टोल नियम के खिलाफ

स्थानीय लोगों को बार-बार टोल शुल्क देना पड़ता है

कांग्रेस इसे जनता पर बोझ बता रही है

 

जाने क्या है भारत में टोल प्लाज़ा से जुड़े नियम?

भारत में टोल प्लाजा और सड़क कर (रोड टैक्स) दोनों का अपना अलग उद्देश्य और नियम है, जो केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं।

1. सड़क कर (Road Tax): सड़क कर एक ऐसा कर है जो वाहन खरीदते समय या कभी-कभी वार्षिक आधार पर राज्य सरकार को दिया जाता है। यह कर वाहन के राज्य में पंजीकरण और चलाने के अधिकार के लिए जरूरी होता है। राज्य सरकार इस कर से राज्य की सड़कों के रखरखाव, सुधार और परिवहन विभाग के खर्चों को पूरा करती है। रोड टैक्स वाहन के प्रकार, वजन, इंजन क्षमता और राज्य के नियमों के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है। एक बार यह कर देने के बाद वाहन को उस राज्य की सीमाओं में सड़क पर चलाने का वैध अधिकार मिल जाता है।

2. टोल टैक्स (Toll Tax): टोल टैक्स खासकर उन सड़कों, हाईवे, ब्रिज या एक्सप्रेसवे पर लगाया जाता है जो निर्माण या रखरखाव के लिए किसी खास एजेंसी, जैसे कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) या प्राइवेट कंपनियों को ठेका पर दिए गए होते हैं। टोल प्लाजा पर टोल टैक्स वाहन चालकों से एक तरह का उपयोग शुल्क के रूप में लिया जाता है। यह शुल्क सड़क के निर्माण, रखरखाव और उसमें निवेश की गई लागत को वसूलने के लिए होता है। टोल टैक्स हर बार उस टोल प्लाजा से गुजरते समय देना होता है, चाहे आपने वाहन के लिए रोड टैक्स पहले ही दे दिया हो।

 

3. दोनों में मुख्य अंतर: रोड टैक्स वाहन के लिए वैधता का प्रमाण है और राज्य सरकार द्वारा एक बार या वार्षिक वसूला जाता है, जबकि टोल टैक्स सड़क के विशेष हिस्से पर सफर करने के लिए हर बार चार्ज किया जाता है और यह केंद्र सरकार या संबंधित एजेंसी द्वारा वसूला जाता है।

4. नियम और छूट: कई राज्यों में रोड टैक्स वाहन के पहले पंजीकरण के समय लिया जाता है। टोल टैक्स पर भी कुछ वाहनों जैसे कि एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड, सेना के वाहन, दिव्यांग व्यक्तियों के वाहन आदि को छूट मिलती है। इसके अलावा, भारत सरकार ने टोल टैक्स वसूलने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए FASTag अनिवार्य कर दिया है, जिससे टोल शुल्क इलेक्ट्रॉनिक तरीके से कट जाता है और ट्रैफिक जाम कम होता है।

इस प्रकार, भारत में रोड टैक्स और टोल टैक्स दोनों अलग-अलग नियमों और उद्देश्यों के तहत चलते हैं, जहां रोड टैक्स वाहन के पंजीकरण और सड़क पर चलने की अनुमति देता है, वहीं टोल टैक्स विशेष रूप से बनाई गई सड़कों के रखरखाव और निर्माण के लिए वसूला जाता है।

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Author: thelokmedia

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